बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जुनैद हारिस साहब ने जो कहा कि हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मिलन है, ये शब्द सबसे पहले दारा शिकोह ने इस्तेमाल किया था।

देश में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद- मंदिर विवाद के बीच इस्लामिक स्कॉलर जुनैद हारिस ने दावा किया है कि कुतुब मीनार में कमल के अंदर कलमा लिखा है। उन्होंने फिर से दोहराया कि जो मुसलमान यहां आए उन्होंने हिंदुस्तान की संस्कृति को अपनाया। उन्होंने अकबर का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने विक्रमादित्य की नकल करते हुए नवरत्न रखे।
एक टीवी डिबेट में ज्ञनवापी मस्जिद के अंदर फव्वारा और शिवलिंग के दावे को लेकर उन्होंने कहा कि ये हिंदु-मुस्लिम संस्कृति का मिलन है, इसमें कुछ गलत नहीं है।
इस पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हारिस साहब ने जो कहा कि ये संस्कृतियों का मिलन है, इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह ने किया था। उसने एक किताब लिखी थी, मंजुमल बहरीन- दो समुंदरों को मिलन, उसका तो सिर काट दिया गया था। उसके लिए तो मैंने किसी मुसलमान को खड़े नहीं देखा कि वो हमारा था। वे खड़े होते हैं औरंगजेब के लिए।
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सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “ये जांच से क्यों डरते हैं क्योंकि जमीन के अंदर खुदाई ही नहीं, अगर शरीर के अंदर की भी जांच हो गई तो शादाब चौहान, जाकिर नायक, मकबूल भट्ट, इफ्तिखार चौधरी समेत जानें क्या-क्या हकीकत में निकलेंगे। फिर अगर आखिर में जिन्ना का परदादा पूंजा लाल ठक्कर निकलेगा। अंत में डर इन्हें इस बात का है कि फिल्म अमर अकबर एंथनी की तरह तीनों का बाप आखिर में कृष्णलाल ही निकलेगा।”
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर गुरुवार (26 मई, 2022) को वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई हुई। हालांकि, सुनवाई पूरी नहीं सकी। इस दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति के अधिवक्ताओं ने दलीलें देनी शुरू कीं, लेकिन बहस आज पूरी नहीं हो सकी। अब अगली सुनवाई 30 मई को होगी।