प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने कहा है कि लंबे समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी आवाज़ कोई नहीं सुन रहा। इस बात को लेकर अशोक पंडित ने रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधा है।

लखीमपुर खीरी हिंसा में पीड़ित किसानों से मिलने जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उनके हिरासत में लिए जाने पर उनके पति उद्योगपति रॉबर्ट वाड्रा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि प्रियंका गांधी और उनका परिवार हमेशा से उन लोगों की आवाज़ उठाता रहा है जिनकी आवाज़ को सुना नहीं जाता है। उन्होंने किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि लंबे समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी आवाज़ कोई नहीं सुन रहा। हिंसा में किसानों की मौत को उन्होंने दुखद बताया। इस बात को लेकर बॉलीवुड फिल्ममेकर अशोक पंडित ने रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधा है।
उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा का वीडियो अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जिसने किसानों की जमीन हड़प ली, अब वो भाषण दे रहा है।’ बता दें, रॉबर्ट वाड्रा पर कई बार जमीन हडपने के आरोप लगे हैं।
गुरुग्राम जमीन घोटाले के एक पुराने मामले को लेकर साल 2018 में उन पर एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी। हालंकि रॉबर्ट वाड्रा ने इस आरोप से इनकार कर दिया था और कहा था कि ये सब राजनीति से प्रेरित है, चुनाव आनेवाले हैं इसलिए उन्हें फ्रेम किया जा रहा है।
बहरहाल, वीडियो में रॉबर्ट वाड्रा समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कह रहे हैं, ‘यह बहुत दुखद बात है कि सरकार किसानों की बातें सुने, इसके लिए कई जाने देनी पड़ी। वो प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि लंबे अरसे से उनकी बात कोई नहीं सुन रहा। वो सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लंबे समय से लेकिन उनकी बात कोई नहीं सुन रहा। अब यूपी सरकार की सरकार कह रही है कि हम मृतक परिवार को मुआवजा दे रहे हैं लेकिन किसी आदमी की मौत के बाद आप कुछ पैसे देकर बच नहीं सकते। वो चाहते हैं कि उनकी बात सुनी जाए।’
प्रियंका गांधी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब भी देश में ऐसी स्थितियां पैदा होतीं हैं तब मेरी पत्नी और उनका परिवार वैसे लोगों के लिए लड़ता है जिनकी आवाज़ दबाई जा रही है, जो सरकार की आर्थिक नीतियों से तबाह हो चुके हैं। मैंने देखा पिछली रात प्रियंका के साथ क्या हुआ…उसके धक्का दिया गया, हाथ मरोड़ा गया, जबकि उनके पास वारंट नहीं था। वो बस उन किसानों के परिवारों से मिलकर सहानुभूति देने जा रहीं थीं जिन्होंने हिंसा में अपने लोगों को खो दिया।‘