टाटा पावर ने भारत की सबसे बड़ी पानी पर तैरती हुई सोलर पावर परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना को केरल के बैकवाटर्स में इंस्टॉल किया गया है। कंपनी इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि यह 101.6 मेगावाट पीक क्षमता के साथ आता है।

टाटा पावर ने भारत की सबसे बड़ी पानी पर तैरती हुई सोलर पावर परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना को केरल के बैकवाटर्स में इंस्टॉल किया गया है। कंपनी इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि यह 101.6 मेगावाट पीक क्षमता के साथ आता है। कंपनी ने बयान में कहा गया है कि यह परियोजना केरल के कायमकुलम में 350 एकड़ के जल निकाय पर स्थापित है।
कई चुनौतियों के बीच पूरी हुई परियोजना
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने बयान में बताया कि इस परियोजना को शुरू करने के दौरान कई कठिनाईयां सामने आईं, लेकिन इसके बाद भी पूरा कर लिया गया है। इस परियोजना के बनाने के दौरान पानी की गहराई, उच्च समुद्री ज्वार और गंभीर जल लवणता जैसी समस्याएं सामने आई है। टाटा पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ने आवंटित समय के भीतर स्थापना को पूरा कर लिया।
इसे 5 मेगावाट क्षमता इनवर्टर के साथ जोड़ा गया
इस पूरे सौर प्लांट को पानी पर तैरने के लिए टाटा पावर सोलर ने जल निकाय पर एक मंच का निर्माण किया है। पावर परचेज एग्रीमेंट प्रोजेक्ट के जरिए फ्लोटिंग सोलर फोटोवोल्टिक (FSPV) अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। यह सुविधा 5 मेगावाट क्षमता वाले फ्लोटिंग इनवर्टर के साथ जोड़ी गई है।
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तैयार करने में यह समस्याएं
यह सेंट्रल मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल स्टेशन (CMCS) और 33/220 किलोवोल्ट स्विचयार्ड 134 कास्ट पाइल फ़ाउंडेशन द्वारा समर्थित हैं, जो 20 मीटर पानी के नीचे की गहराई तक है। इसके स्ट्रेक्चर को ड्रेजिंग सिस्टम के तहत तैयार किया गया है। यह सौर मॉड्यूल मजबूत झोंकों और तेज ज्वार के अधीन थे, जो अक्सर लगभग 3.5 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचते थे, जबकि समुद्र से जुड़े राष्ट्रीय जलमार्ग पर 3 किलोमीटर के लिए 15 मीटर गहरा था।
सीईओ ने क्या कहा
टाटा पावर के सीईओ और एमडी, डॉ. प्रवीर सिन्हा ने कहा कि भारत की पहली और सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना का कमीशन भारत के स्थायी ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में एक अभिनव और वृद्धिशील कदम है।