बॉलीवुड के गाने फिल्म की कहानी को सजाने का काम तो करते ही हैं, मगर इन गीतों के तैयार होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है…ऐसा ही एक गीत है फिल्म ‘हाथी मेरे साथी‘ का गीत के बोल हैं ‘दुनिया में रहना है तो काम करो प्यारे‘…अपने समय का सुपरहिट गाना दरअसल एक कमेंट […]

बॉलीवुड के गाने फिल्म की कहानी को सजाने का काम तो करते ही हैं, मगर इन गीतों के तैयार होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है…ऐसा ही एक गीत है फिल्म ‘हाथी मेरे साथी‘ का गीत के बोल हैं ‘दुनिया में रहना है तो काम करो प्यारे‘…अपने समय का सुपरहिट गाना दरअसल एक कमेंट था जो गीतकार आनंद बख्शी ने उस दौर की मशहूर गीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल के प्यारेलाल जी पर किया था…मगर प्यारे जी ने बड़ी खूबसूरती ने इसे एक सुपरहिट गाने में बदल दिया…
बॉलीवुड का हर गाना फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाता है… मगर क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर गीतों के तैयार होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी छिपी होती है…ऐसी ही एक कहानी कुछ वक्त पहले हमें सुनाई थी मशहूर संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल फेम प्यारेलाल ने…हम बात कर रहे हैं 1971 में रिलीज़ हुई सुपरहिट फिल्म “हाथी मेरे साथी” के सुपर डुपर हिट गाने “दुनिया में रहना तो काम करो प्यारे” की…
ये गीत अपने आप में एक मिसाल है कि किस तरह एक अच्छा संगीतकार किसी ताने या कमेंट को भी बेहतरीन गीत में बदल देता है…दरअसल हुआ कुछ यूं कि संगीतकार प्यारेलाल जी अपनी क्रिएटिविटी से रत्ती भर भी समझौता नहीं किया करते थे…अपने काम से काम रखते और बड़े से बड़े प्रोडयूसर की भी जी हुजूरी नहीं किया करते थे…उनके दोस्त अक्सर उन्हें थोड़ा सोशल और प्रैक्टिकल होने की सलाह दिया करते, मगर प्यारेलाल जी पर उसका कोई असर नहीं होता…
प्यारेलाल के इन्हीं दोस्तों में से एक थे, गीतकार आनंद बख्शी साहब…एक रोज़ आनंद बख्शी सुबह सुबह प्यारेलाल के घर पहुंचे…चाय पीने के बाद आनंद बख्शी ने एक कागज निकालते हुए कहा कि “मैं तुम्हारे लिए एक कविता लिखकर लाया हूं, सुनोगे तो शायद बात समझ में आएगी…” प्यारेलाल जी भी हल्के फुल्के मूड में थे, फौरन हां कर दिया… अब आनंद बख्शी ने कविता पढ़नी शुरु की और हाथों के इशारों से एक्ट करके समझाने भी लगे, कविता के बोल थे ” दुनिया में रहना है तो काम करो प्यारे, हाथ जोड़ सबको सलाम करो प्यारे, वरना ये दुनिया जीने नहीं देगी, खाने नहीं देगी, पीने नहीं देगी, खेल यही रोज़ सुबह–शाम करो प्यारे…”
कविता सुनकर प्यारेलाल जी मुस्कुरा दिए…आनंद बख्शी को लगा कि बात समझ में आ गई है…मगर प्यारेलाल जी को तो एक सिचुएशन पर ये गाना एक दम फिट लगा…ये सिचुएशन थी फिल्म हाथी मेरे साथी की…प्यारेलाल जी ने तुरंत आनंद बख्शी को साथ लिया और लक्ष्मीकांत भाई के पास पहुंचे…उन्हें भी ये बोल पसंद आए…फिर क्या था, दोनों ने वहीं बैठकर इस बोल की धुन तैयार कर डाली
धुन कंपोज करने के बाद L-P और आनंद बख्शी जा पहुंचे प्रोडयूसर–डाइरेक्टर के दफ्तर…उन दोनों को भी ये धुन बड़ी अच्छी लगी…और अगले ही हफ्ते गाना रिकॉर्ड कर लिया गया…फिल्म में इस गाने को फिल्माया उस दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना पर…जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से इस गीत को अमर और यादगार बना दिया…