गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने शनिवार को ऐलान किया कि 28 सितंबर को जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे।

गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने शनिवार को ऐलान किया कि 28 सितंबर को जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे। पार्टी में पिछले दिनों हुई सियासी चहलकदमी के बाद दिल्ली के एक सूत्र ने इसकी पुष्टि की है। युवा नेताओं को कांग्रेस में शामिल होने के लिए 28 सितंबर की तारीख का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि इस दिन भगत सिंह की जयंती है।
कन्हैया कभी कांग्रेस पर साधा करते थे निशाना: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं। साल 2015 में जेएनयू छात्र संघ चुनावों में एक बहस के दौरान कन्हैया ने बीजेपी और कांग्रेस को एक ही तराजू पर तौला था। सीपीआई छात्र विंग एआईएसएफ के उम्मीदवार कन्हैया ने मशहूर शेर बर्बाद गुलिस्तां करने को… में थोड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि बर्बाद हिंदुस्तान करने को एक ही कांग्रेस काफी थी… हर राज्य में बीजेपी बैठा है, बर्बाद-ए-गुलिस्ता क्या होगा। जेएनयू से निकलने के बाद कन्हैया कुमार ने सीपीआई ज्वाइन की थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय से चुनाव लड़ा था।
कन्हैया कुमार की कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों की शुरुआत उनकी राहुल गांधी संग मुलाकात के बाद हुई । सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात की पटकथा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लिखी थी। जो इन दिनों पर्दे के पीछे से कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं और आने वाले समय में पार्टी में शामिल भी हो सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों ही नेताओं को दिल्ली में राहुल गांधी और हार्दिक पटेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता दी जा सकती है।
युवा नेताओं की खाली जगहों को भरने की कवायद: पिछले दिनों कांग्रेस में हुए उलटफेर के बाद कई युवा नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देव, जितिन प्रसाद, प्रियंका चतुर्वेदी और ललितेशपति त्रिपाठी जैसे नाम शामिल हैं। पार्टी अब नए चेहरे के तौर पर कन्हैया और जिग्नेश को आगे करेगी। उत्तर प्रदेश का चुनावी मैदान, वह पहला पड़ाव होगा जहां दोनों युवा नेता पार्टी के लिए प्रचार करते हुए नजर आ सकते हैं।
मेवाणी के जरिए गुजरात में दलितों को साधने की रणनीति: गुजरात में जिग्नेश मेवाणी के जरिए कांग्रेस जातिगत समीकरणों को साधना चाहेगी। कांग्रेस की रणनीति ओबीसी और दलितों को लुभाने की है, राज्य में हार्दिक पटेल काफी हद तक पिछड़ों के नेता माने जाने लगे हैं, पिछले कुछ सालों में गुजरात में मेवाणी दलितों के विरोध का चेहरा बनकर उभरे थे। बीजेपी ने भी पिछले दिनों पटेल को सीएम पद की कुर्सी पर बिठाया है, जबकि आम आदमी पार्टी भी आगामी चुनावों में ओबीसी और दलित वोटबैंक पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।