स्वामी का कहना था कि जो राज्य यह चाहते हैं कि नए कृषि सुधार कानून लागू किया जाए, उन्हें इसके फायदे से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। फिलहाल पंजाब ही इस कानून को लागू नहीं करना चाहता है।

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग पैसे लेकर उनके खिलाफ ट्वीट करके उन्हें बदनाम करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी का भी संरक्षण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को उस अधिकारी को मेरे पत्र के आधार पर बर्खास्त कर देना चाहिए। हालांकि उनके ट्वीट पर कई लोगों ने उनको ट्रोल किया। भाजपा सांसद अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। उन्होंने कई बार सरकार और मंत्रीमंडल के सहयोगियों को लेकर भी राष्ट्रीय मीडिया में टिप्पणी की है। इसकी वजह से सरकार के अंदर भी उनको लेकर नाराजगी जताई जाती रही है।
सत्यमेव जयते नाम के एक यूजर @Me84988933 ने लिखा कि, “जो लोग आपको बदनाम कर रहे हैं, उन्हें बिल्कुल बर्खास्त कर देना चाहिए। लेकिन जब आप, पप्पू और पप्पू की अम्मी मोदीजी को बदनाम करते हैं तब आप लोगों का क्या करना चाहिए?” इस यूजर को जवाब देते हुए एक अन्य यूजर @dilsebhartiya01 ने लिखा कि उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। लोगों ने उनकी टिप्पणी पर उनसे जवाब भी मांगा।
Amazing that the sewer rats from city drainage are putting out paid tweets to slander me & have the patronage of an officer of the PMO. VHS IT cell has thrashed them in Twitter. But PM must sack the officer on the basis of my fully documented letter to him.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 2, 2021
सुब्रमण्यम स्वामी ने इससे पहले तीन महीने से चले आ रहे किसानों के आंदोलन को लेकर अपना सुझावा दिया था। उनका कहना था कि फिलहाल कृषि कानूनों को उन्हीं राज्यों में लागू किया जाए, जहां इसको लेकर कोई विरोध नहीं है। वे राज्य केंद्र को इसके बारे में लिखकर अपनी सहमति दे सकते हैं।
उनका कहना था कि जो राज्य यह चाहते हैं कि नए कृषि सुधार कानून लागू किया जाए, उन्हें इसके फायदे से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। फिलहाल पंजाब ही इस कानून को लागू नहीं करना चाहता है।
दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा हर राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए पात्र होना चाहिए, जैसा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अनाजों की खरीदारी सिर्फ वहीं तक ही सीमित किया जाना चाहिए, जहां पर कृषि व्यापार के अलावा कोई दूसरा वाणिज्यिक और व्यावसायिक हित नहीं है।