रूस के इन 5 लोगों की दर्दनाक कहानी! 5 महीने से एयरपोर्ट को ही बना लिया ठिकाना, दिन में 1 बार खाते हैं खाना

हाइलाइट्स

पिछले 5 महीने से इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गुजर-बसर कर रहे हैं पांचों युवक.
लामबंदी के दौरान रूस से भागकर पहुंचे थे साउथ कोरिया.
तीन युवक अक्टूबर महीने में आए थे. जबकि दो युवक नवंबर में आए थे.

नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में आम लोगों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है. इसके कई उदाहरण लगातार सामने आते रहते हैं. इसी कड़ी में एक और नया मामला प्रकाश में आया है, जहां 5 युवक रूस से भागकर साउथ कोरिया के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पिछले 5 महीने से छिपकर रहे थे. पांचों युवक पिछले 5 महीने से केवल एक वक्त भोजन कर रहे थे. ये सभी 5 लोग साल 2022 के सितंबर महीने में जब आम लोगों को रूस युद्ध लड़ने के लिए सेना में भेजने लगा तो यह लोग जैसे-तैसे भागकर साउथ कोरिया पहुंच गए थे.

शरणार्थी के तौर पर स्वीकार करने से इनकार
वहीं दक्षिण कोरिया के न्याय मंत्रालय ने इन युवकों को रिफ्यूजी के तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. न्याय मंत्रालय ने कहा कि इन युवकों की अर्जी को इसलिए नहीं खारिज किया गया है कि इन लोगों ने लामबंदी में शामिल होने से इनकार किया था. उनकी स्थितियों के बारे में बात करते हुए, उनके वकील ली जोंग-चान ने सीएनएन को बताया, “उन्हें पूरे दिन में एक बार भोजन दिया जाता है, जो दोपहर का भोजन है और, बाकी समय रोटी और पानी पीकर अपना गुजारा करते हैं.”

युवकों के पास स्वास्थ्य सुविधा कम 
उन्होंने कहा कि पुरुष स्नान कर सकते हैं लेकिन उन्हें अपने कपड़े हाथ से धोने पड़ते हैं. साथ ही यब भी बताया कि एयरपोर्ट पर मौजूद डिपार्चर और ड्यूटी-फ्री एरिया तक ही उन्हें सीमित जगह में रहना होता है. उनके वकील ने कहा कि उन पांच युवकों के पास बहुत ही कम चिकित्सीय व्यवस्था है और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जो बेहद जरुरी है. उनके वीकल ने बताया कि तीन युवक अक्टूबर के महीने में आए थे. जबकि दो युवक नवंबर के महीने में आए थे.

लामबंदी का जमकर रूस में हुआ विरोध
जाहिर तौर पर, यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूसी नागरिकों की आंशिक लामबंदी, गुस्से में विरोध का कारण बना और एक बड़े पैमाने पर पलायन का कारण बना. कई लोगों ने देश से भागने की भी कोशिश की. सामूहिक आंकड़ों के अनुसार, सीएनएन द्वारा रिपोर्ट किया गया कि दो लाख से अधिक लोग जॉर्जिया, कजाकिस्तान भाग गए.

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