राजस्थान के करौली की किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इन क़ानूनों को बनाने से पहले सरकार ने किसानों से नहीं पूछा। व्यापारियों के बड़े बड़े गोदाम पहले बन गए और यह कानून बाद में बना।

पिछले 90 दिन से भी अधिक समय से देशभर के किसान दिल्ली से सटे सीमाओं पर डटे हुए हैं। आन्दोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान नेता अब दिल्ली की सीमाओं के अलावा देशभर के अलग अलग हिस्से में किसान महापंचायत कर रहे हैं। इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने करौली की किसान महापंचायत में कहा है कि व्यापारियों के गोदाम पहले बन गए, कानून बाद में बना। इसके अलावा राकेश ने कहा कि यह लड़ाई राजा के खिलाफ है।
राजस्थान के करौली की किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इन क़ानूनों को बनाने से पहले सरकार ने किसानों से नहीं पूछा। व्यापारियों के बड़े बड़े गोदाम पहले बन गए और यह कानून बाद में बना। व्यापारियों के कहने पर उनके हितों को साधने के लिए यह कानून बना है। इसके अलावा टिकैत ने यह कहा कि आज देश का यह हाल है कि किसानों को फसलों के सरकारी रेट भी मालूम नहीं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसी एक जाति की नहीं है। बल्कि एमएसपी पर कानून बनाने की और केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की लड़ाई है।
राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार यह कह रही थी कि खेती बाड़ी का समय आते ही किसान अपने खेतों में चले जायेंगे और यह आंदोलन समाप्त हो जाएगा। लेकिन किसानों ने सरकार को जवाब देते हुए अपनी फसल ही नष्ट करनी शुरू कर दी। किसानों ने सरकार को कहा कि अगर इस आंदोलन के बीच में हमारी फसल आएगी तो हम फसल को भी उड़ा देंगे। हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में किसानों ने अपनी फसल बर्बाद करनी शुरू कर दी है। इसके अलावा राकेश टिकैत ने कहा कि हमने किसानों से अपील की है कि आप अपनी फसल बर्बाद मत कीजिए। यह आंदोलन भी चलेगा और साथ साथ खेती बाड़ी भी होगी।
साथ ही राकेश टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन कब तक चलेगा इसका कोई पता नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा और सभी 40 किसान नेताओं के पीछे किसान महापंचायत है और देशभर के लोग हैं। क्योंकि दिल्ली का आंदोलन ही किसानों के फसलों का रेट तय करेगा। यह लड़ाई बड़े पूँजीपतियों के खिलाफ है और सरकार उसका समर्थन कर रही है।
आपको बता दूँ कि आज दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद सभी धरनास्थलों पर युवा किसान दिवस मनाया गया। युवा किसान दिवस के मौके पर स्टेज संचालन से लेकर तमाम जिम्मेदारियों को युवाओं ने ही निभाया। संयुक्त किसान मोर्चे ने 26 फ़रवरी को युवा किसान दिवस मनाने की घोषणा पहले ही कर दी थी।